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ये नया साल हमारा नहीं तो फिर हमारा क्या है?

गोपाल रामचंद्र व्यास
गोपाल रामचंद्र व्यास
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जैसे ही 2017 की रात को 12 बजे उस वक़्त तो जैसे पूरे विश्व में जैसे नए साल की बधाई की जैसे बाढ़ आ गई हो | विश्व के साथ साथ भारत भी कहा अछूता रहा यहाँ भी पटाखों की धूम ने, पार्टियों के धमाकों ने नए साल का स्वागत वैसे ही किया जैसे दुसरे देशों में | सवेरे आँख खुली और हमेशा की तरह मोबाइल देवता के दर्शन करने को फ़ोन ऑन किया तो संदेशो की तो सुनामी चली आई, वैसे मैं भी हमारी संस्कृति का ही पक्ष धर हूँ और मार्च-अप्रैल में चैत्र माह की प्रथम तिथि को आने वाले भारतीय नव वर्ष को मनाने के पक्ष में हूँ लेकिन हमारे दैनिक कामकाज और दुनियां के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चलने की मजबूरी के चलते मैंने भी नए साल की बधाइयों का जवाब देना उचित समझा और अपना व्यवहारिक फ़र्ज़ निभाते हुवे उन सभी को जवाब दे दिया | इसी बीच कुछ सन्देश उन लोगो को भी चले गए जिनकी तरफ से सन्देश नहीं आये थे | मुझे नहीं पता था कि नया साल मेरे लिए कुछ ऐसा व्यतीत होगा | हुआ यूँ कि जिन लोगो को मैंने अपनी तरफ से नए साल की बधाइयों के सन्देश भेजे थे वो नाराज़ हो गए और कहने लगे व्यास जी आप भी विदेशी नए साल को मानते हो, गलत बात हैं काम से काम आप तो हमारी सभ्यता और संस्कृति का ख्याल रखो और इस बात का प्रचार करो कि हमारा नया साल तो अप्रैल में आता है |
मैंने कहा भाई इतना नाराज़ मत हो, माना कि ये नया साल हमारा नहीं हैं तो क्या हुआ अगर हम नए अंग्रेजी साल की बधाई देते है तो भाई हम भारतीय तो सदा से पूरी धरती को अपनी मानते है और हम तो वासुदेव कुटुंबकम को मैंने वाले लोग है तो फिर क्या समस्या है | वैसे एक बात बताओ, वो बोलै क्या? माना कि ये नया साल हमारा नहीं तो फिर हमारा क्या है?
वो बोलै मतलब कहना क्या चाहते हो, बताया ना हमारा नया साल तो अप्रैल में आता है | मैंने कहा भाई वो तो मुझे भी पता है कि भारतीय नव वर्ष चैत्र माह की प्रतिपदा को आता है मेरे कहने का मतलब हैं कि जैसे तुम अंग्रेजी नए साल का विरोध कर रहे हो तो तुम और क्या क्या नहीं है जिसे बदलने के पक्ष धर हो, वो बोला समझा नहीं | मैंने कहा चलो बताता हूँ तुमने तो कपडे पहने है वो हमारे नहीं है हम तो धोती कुर्ता पहनने वाले लोग है तो फिर ये क्यों? तुम आने बच्चो को स्कूल में क्यों भेजते हो गुरुकुल आश्रम में क्यों नहीं? रोज़मरा में अंग्रेजी तारीख क्यों लिखते हो हिंदी वाली क्यों नहीं? ऑफिस में कंप्यूटर पर अंग्रेजी में काम करते हो क्यों? बीमार होते हो तो डॉक्टर के पास क्यों जाते हो वैध या हकीम के पास क्यों नहीं? वो सोच कर बोला भाई में अकेला तो नहीं जो इन सब का आदी हूँ सभी ऐसा ही करते है और रही बात पहनावे की तो बरसो से यही पहन रहे है | जहा तक बच्चो को आज के हिसाब से नहीं पढ़ाएंगे तो कल को पीछे रह जायेंगे | मैंने कहा भाई ऐसा नहीं है चीन, जापान के साथ साथ और भी कई देश हैं जो अपनी संस्कृति और शिक्षा प्रणाली को ज़िंदा रखे हुवे हैं | उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा माध्यम को हावी नहीं होने दिया, तो क्या वे पिछड़ गए नहीं जबकि तकनीक के मामले में जापान सबसे आगे है | ये तो हम ही हैं जिन्होंने आजादी के बबाद भी मैकाले की शिक्षा पध्यति को अपना रखा है और अब वो पेड़ इतने मजबूत है कि उखाड़ेंगे तो टूट जायेंगे जड़ से नहीं हिलेंगे |
वो बोला तो फिर विदेशी संस्कृति को पूरी तरह से हमारी संस्कृति पर हावी होने दे और मूक दर्शक बन बैठे रहे? मैंने कहा नहीं बिलकुल नहीं मैंने ऐसा कब कहा मगर उसका भी तरीका है जिसे अपनाना होगा | उसने उत्सुकता से पुछा वो क्या? मैंने कहा सबसे पहले हमें हमारी शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाना होगा पहली कक्षा से लेकर डॉक्टर इंजीनियर वकील बड़ी से बड़ी शिक्षा संस्थानों में संस्कृत का एक विषय अवश्य लागू करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियां हमारे देश की मूल भाषा के ज्ञानी बन हमारे ग्रंथो का अध्यन आसानी से कर सके और संस्कृति क्या है उसे जान सके उनके मन में उठने वाली प्रत्येक सवाल का जवाब खुद खोज सके और उस पर विश्वास कर सके | यदि हम वर्तमान युवाओ को बदलने का प्रयास करेंगे तो उनका विरोधी होना स्वाभाविक होगा तो हमें पुराने पेड़ो के साथ साथ नए पेड़ नै सोच के साथ लगते जायेंगे तो एक दिन नया साल हमारे देश में चैत्र माह के प्राथन दिन ही मनाया जायेगा तब तक .. मैं कुछ बोलता वो तपाक बीच में बोला HAPPY NEW YEAR..

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